बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
अथवा
संकेत आधारित विस्मरण की व्याख्या करते हुए, विस्मरण के स्वरूप की विवेचना कीजिए।
लघु प्रश्न
1. विस्मरण के स्वरूप का उल्लेख कीजिए।
2. संकेत आधारित विस्मरण क्या है?
उत्तर -
विस्मरण
विस्मरण स्मृति का एक नकारात्मक या ऋणात्मक पक्ष है। गेल्डार्ड ने विस्मरण को एक नकारात्मक स्मृति माना है। जब हम पूर्व सीखे गए अनुभवों को किसी कारण से खो देते हैं तो उसे विस्मरण की संज्ञा दी जाती है। जब भी हम किसी विषय या पाठ को सीखते हैं, तो उसे स्मृति चिन्ह के रूप में मस्तिष्क में धारण करते हैं। जब स्मृति चिन्ह कमजोर पड़ जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं तो हम पूर्व सीखे गए अनुभवों को याद नहीं कर पाते हैं और हम यह कहते हैं कि उसका विस्मरण हो गया है। विस्मरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें स्मृति चिन्हों के खत्म हो जाने के कारण पूर्व सीखे गए अनुभवों को व्यक्ति याद नहीं कर पाता है. परन्तु सच्चाई यह है कि मनोवैज्ञानिक रूप से विस्मरण का यह अधूरा अर्थ है, क्योंकि कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी सीखे गए पाठ की स्मृति चिन्ह बनी हुई होती है। अर्थात् हम उन अनुभवों को धारण किए हुए होते हैं। फिर भी उसका प्रत्याह्मान या प्रत्याभिज्ञान नहीं कर पाते हैं, परन्तु जैसे ही उस पाठ से सम्बन्धित कुछ संकेत जिसे पुनः प्राप्ति संकेत कहा जाता है, दिया जाता है, हम उसका प्रत्याह्यान कर लेते है। अतः कह सकते हैं कि विस्मरण एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति पूर्व सीखे गए अनुभवो या पाठों का प्रत्याह्मान या प्रत्याभिज्ञान करने में असमर्थ रहता है। इस असमर्थता का कारण स्मृति चिन्हों का खत्म हो जाना भी हो सकता है या उपयुक्त पुनः प्राप्ति संकेत की अनुपस्थिति भी हो सकती है।
जब विस्मरण का कारण स्मृति चिन्हों का वास्तविक नाश होना होता है, तो इसे चिन्ह आधारित विस्मरण कहा जाता है तथा जब विस्मरण का कारण स्मृति चिन्हों का नाश होना नहीं बल्कि प्रत्याह्मान करते समय कुछ महत्वपूर्ण संकेतों की अनुपस्थिति होती है तो उसे संकेत-आधारित विस्मरण कहा जाता है।
विस्मरण के स्वरूप के बारे में मनोवैज्ञानिकों के बीच मुख्य दो तरह के दृष्टिकोण या विचारधाराएँ हैं - पहली विचारधारा इबिंगहॉस की है जिन्होंने 1885 में स्मरण तथा विस्मरण पर पहला प्रयोगात्मक अध्ययन किया और बतलाया कि विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया है। दूसरी विचारधारा अन्य मनोवैज्ञानिकों की है कि जिसमें मेल्टन (1940), मूलर तथा पिलजेकर (1900), मैग्यू (1932), तथा जेनकिन्स तथा डैलेनबैक (1924) आदि प्रधान है। इन मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया है।
(1) विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया है - इबिंगहॉस ने विस्मरण का प्रयोगात्मक अध्ययन किया। इन्होंने अपने इस अध्ययन में निरर्थक पदों की कई सूचियों को स्वयं सीखा तथा उसकी स्मृति की जाँच भिन्न-भिन्न समय अन्तरालो जैसे - 20 मिनट, 1 घंटा, 1 दिन, 2 दिन, 3 दिन, 4 दिन, 5 दिन तथा 30 दिन पर की। इन्होंने अपने प्रयोग में पाया कि सीखने के बाद जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, वैसे-वैसे निष्क्रिय रूप से मस्तिष्क में बने स्मृति-चिन्ह अपने आप ही क्षीण एवं कमजोर पडते जाते हैं और इसके साथ ही साथ विस्मरण की मात्रा भी बढ़ती जाती है, हालाँकि भूलने की दर में कमी आती जाती है। समय बीतने के साथ विस्मरण की मात्रा तथा दर में हुए परिवर्तन को इबिंगहॉस ने विशेष वक्र द्वारा दिखलाया है, जिसे विस्मरण चक्र या इबिंगहॉस वक्र कहा जाता है।
इबिगहॉस के अनुसार भूलने का मुख्य कारण सीखने के बाद समय का बीतना होता है। समय बीतने के साथ-साथ स्मृति चिन्हों में क्रमिक ह्रास होता जाता है और उसी के अनुसार विस्मरण की मात्रा भी बढ़ती जाती है।
(2) विस्मरण एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया है - मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि विस्मरण का कारण समय बीतना नहीं है। जेनकिन्स तथा डैलेनबैक, मूलर तथा पिलजेकर और मेल्टन तथा डर्विन ने अपने प्रयोगों में यह स्पष्ट रूप से पाया है कि सीखने के बाद समय का बीतना अपने आप में विस्मरण का कारण नहीं है, बल्कि व्यक्ति इस समय अन्तराल में जब कुछ दूसरा कार्य करता है या कुछ नया पाठ सीखता है, तो इसके कारण मौलिक विषय को वह भूल जाता है। समय अन्तराल में जब नया पाठ व्यक्ति सीखता है तो इससे उत्पन्न स्मृति चिन्ह पहले सीखे गए पाठ यानि मौलिक पाठ के सीखने से उत्पन्न स्मृति चिन्ह को धीरे-धीरे कमजोर कर देते हैं और व्यक्ति उस पाठ को भूल जाता है। अतः विस्मरण निष्क्रिय रूप से समय बीतने के साथ अपने आप नहीं होता है, बल्कि उस बीते हुए समय में जब व्यक्ति सक्रिय होकर किसी पाठ को सीखता है तो इससे विस्मरण होता है।
अतः कहा जा सकता है कि विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रकिया नहीं है जैसा कि इबिंगहॉस ने प्रयोग के आधार पर कहा था। आजकल मनोवैज्ञानिको के बीच सहमति यही है कि मौलिक विषय का विस्मरण उस विषय के बाद कुछ नए विषय को सीखने के फलस्वरूप होता है। अतः यह एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया है।
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- प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
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- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
- प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
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